Ancestor Worship Traditions : कहीं पूजा तो कहीं जश्न, दुनिया की हर सभ्यता में पितृपक्ष जैसे पर्व

 


भारत के पितृ पक्ष (Pitru Paksha) से लेकर चीन के Qingming Festival, मेक्सिको के Day of the Dead, जापान के Obon और अफ्रीका की अनोखी परंपराओं तक - uplive24.com पर जानिए दुनिया की अलग-अलग सभ्यताओं में पूर्वजों को कैसे याद किया जाता है।

कहते हैं इंसान अपनी जड़ों को कभी नहीं भूल सकता। हमारी जड़ें सिर्फ धरती या संस्कृति तक सीमित नहीं होतीं, बल्कि उन पूर्वजों तक जाती हैं जिन्होंने हमें जीवन, परंपरा और पहचान दी। यही कारण है कि दुनिया की लगभग हर सभ्यता में पूर्वजों को याद करने की परंपरा (Ancestor Worship Traditions) मौजूद है। फर्क सिर्फ इतना है कि कहीं यह गंभीर अनुष्ठानों में दिखती है, तो कहीं रंग-बिरंगे त्योहारों में।

आइए चलते हैं एक रोचक यात्रा पर, जहां भारत से लेकर जापान, अफ्रीका से लेकर मेक्सिको तक, लोग अपने पुरखों को कैसे याद करते हैं।

Pitru Paksha : कहां रहती है पितरों की आत्मा?

भारत : पितृ पक्ष और श्राद्ध (Pitru Paksha)

भारत में पूर्वजों की स्मृति सबसे जीवंत रूप में पितृ पक्ष में दिखती हैयह 15 दिनों की अवधि होती है, जब लोग अपने पुरखों की आत्मा की शांति के लिए श्राद्ध करते हैं। गंगा और अन्य नदियों के घाटों पर सुबह-सुबह मंत्रोच्चारण, तिल और कुश का अर्पण, पकवानों की थाली - सब कुछ मिलकर वातावरण को पवित्र बना देता है।

लोककथाओं में मान्यता है कि इन दिनों में पितृ लोक के द्वार खुल जाते हैं और आत्माएं अपने वंशजों का आशीर्वाद देने आती हैं। यह सिर्फ धार्मिक कर्मकांड नहीं बल्कि परिवार को यह याद दिलाने का अवसर है कि हमारी जड़ें कभी नहीं टूटतीं।

चीन का किंगमिंग उत्सव (Qingming Festival China)

चीन में पूर्वजों को सम्मान देने का पर्व है किंगमिंग (Qingming Festival)इसे 'टॉम्ब स्विपिंग डे' भी कहते हैं। इस दिन परिवार अपने पूर्वजों की कब्रों पर जाते हैं, उन्हें साफ करते हैं, अगरबत्तियां जलाते हैं और कागज से बने नकली सामान - जैसे कपड़े, घर या गाड़ियां जलाकर आत्माओं को अर्पित करते हैं

यह परंपरा बताती है कि पूर्वजों को केवल याद ही नहीं किया जाता, बल्कि उन्हें आज के जीवन का हिस्सा माना जाता है। परिवार साथ बैठकर भोजन करता है और आने वाली पीढ़ियों को भी सिखाता है कि अतीत से नाता कभी नहीं तोड़ना चाहिए।

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मेक्सिको का डे ऑफ द डेड (Day of the Dead in Mexico)

अगर किसी सभ्यता ने पूर्वजों की याद (Ancestor Worship Traditions) को उत्सव का रंग दिया है तो वह है मेक्सिको। यहां हर साल नवंबर की शुरुआत में Día de los Muertos (Day of the Dead) मनाया जाता है।

सड़कों पर रंग-बिरंगे जुलूस निकलते हैं, लोग चेहरे पर खोपड़ी जैसा मेकअप करते हैं, घरों में वेदी सजती है, जिन पर मोमबत्तियां, गेंदे के फूल और दिवंगत प्रियजनों की तस्वीरें रखी जाती हैं।

यह मान्यता है कि उस दिन आत्माएं धरती पर लौट आती हैं और अपने परिवार के साथ भोजन और जश्न करती हैंयानी यहां मौत भी जीवन का उत्सव है।

अफ्रीका में आत्माओं के साथ जीवित रिश्ता (African Ancestor Traditions)

अफ्रीकी समाजों में पूर्वजों को केवल इतिहास नहीं बल्कि जीवित आत्मा माना जाता है। कई समुदायों में यह मान्यता है कि पूर्वज पेड़ों, नदियों और हवाओं में बसते हैं।

समारोहों में ढोल बजते हैं, गाने गाए जाते हैं, लोग नाचते हैं और आत्माओं को बुलाते हैं। माना जाता है कि पूर्वज परिवार को बीमारियों और आपदाओं से बचाते हैं। यह रिश्ता उतना ही जीवंत है जितना कि परिवार का कोई बुजुर्ग आज पास बैठा हो (Ancestor Worship Traditions)

जापान का ओबोन उत्सव (Obon Festival Japan)

जापान का ओबोन पूर्वजों की याद का सबसे खूबसूरत उत्सव है। लोग मानते हैं कि इस समय पूर्वजों की आत्माएं घर लौटती हैं।

घर-घर में लालटेन जलती हैं, नृत्य (Bon Odori) होता है और परिवार मिलकर खाना बनाते हैं। उत्सव के अंत में लालटेन नदियों या समुद्र में बहा दी जाती हैं ताकि आत्माएं वापस अपने लोक लौट सकें।

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यूरोप का ऑल सोल्स डे

ईसाई परंपरा में All Souls’ Day पूर्वजों की स्मृति का दिन है। चर्चों में विशेष प्रार्थनाएं होती हैं, कब्रों पर मोमबत्तियां जलाई जाती हैं और प्रियजनों को याद किया जाता है (Ancestor Worship Traditions)

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